By ghazalkatta.com / 6 December 2024 रौशनी का सबब बन गए भीमराव,हर दिलों की तलब बन गए भीमराव।सत्य, शिक्षा का परचम उठाए हुए,हर जतन का नसब बन गए भीमराव।ज़ुल्म की हर कड़ी तोड़ दी हौसले,इंक़लाब-ओ-अदब बन गए भीमराव।सोचती नस्ल जो जी रही है अभी,उनका पहला सबक बन गए भीमराव।कह रहा ''कांबळे" हर सदा में यही,रौशन-ए-महर-ओ-शब बन गए भीमराव।